sundha mata bhajan सुंधा माता भजन

Sundha Mata Aarti Lyrics 

सुन्धा  माता आरती लिरिक्स 



जय सुन्धा माता , मैया जय सुन्धा माता ।
चामुण्डा अजकेश्वरी , सुख संपत्ति दाता , जय सुन्धा माता ॥

सुन्धा परवत बणियो , मन्दिर हद भारी ।
तीन लोक में कीरत , पूजे नर नारी ॥

चांचिक देव तिहारो , मंदिर बणवायो ।
सुन्धा परवत जग में , तीरथ कहलायो ।

केसरि - वाहन राजे , चारभुजा धारी ।
लाल चुनरिया चमके , शोभा है न्यारी ॥

चण्ड मुण्ड संहारी , चामुण्डा माता ।
तेरे दर्शन से माँ , दुख दारिद्र जाता ॥

चौसठ योगिनी थारे , नृत्य करे भैरू ।
ढोल नगाड़ा बाजे , और बाजे डमरू ।।

झिलमिल मुकुट सुहावे , नासा नथ सोहे ।
कानन कुण्डल भळके , मूरत मन मोवे ॥

सुन्धा द्वार तिहारे , दीन दुखी आवे ।
खाली हाथां आवे , झोली भर जावे ॥

दुष्ट निकंदनि माता , संतन हितकारी ।
कलियुग में सुन्धा की , महिमा है भारी ।।

सुन्धा जी की आरती , जो कोई नर गावे ।
वांरा पाप परा जावे , भवसागर तिर जावे ।
दास अशोक सुणावे , भक्त मुक्ति पावे ॥