शनि देव जी की आरती लिरिक्स Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics
जय शनि देव मंत्र Jai Shani Dev Mantra
ओम जय शनि देवा आरती Om Jai Shani Deva Aarti
ओम् जय श्री शनि देवा , स्वामी जय श्री शनि देवा ।
सबसे आप शिरोमणि , मानत है देवा , ओम जय श्री शनि देवा ।।
सभी ग्रह में बैठते , महिमा अति भारी ।
सूर्य पुत्र कहावो , मानत संसारी ॥
क्रोध दशा भुगतावो , सार सार करता ।
राजी हो भुगताओ , सब ही दुखकर्ता ।।
विक्रमादित्य राजाजी , भूल करी भारी ।
साढ़े साती भुगताई , कर दिया दुख भारी ।।
सबसे आप प्रबल है , महिषा असवारी ।
धन सम्पत्ति को देकर , कर दो शुभकारी ॥
शनिवार है वार आपका , पूजत नर नारी ।
दान मान सब करते , प्रेम सहित हद भारी ।।
नव ग्रहों की आरती , जो कोई नर गावे ।
ग्रह दाया दूर होवे , विपत्ति नहीं आवे ॥
नहीं मानता यदि कोई तो , रूष्ट आप होते ।
भक्त आपका हो तो , तुष्ट आप होते ॥
गुण गाऊँ मैं सदा ही आपके , कृपा आप करते ।
सभी भक्त जन दास को , रिद्धि - सिद्धि कर दे ॥
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