श्री राधा - कृष्ण जी की आरती Radha Krishna ki Aarti
Aarti Jugalkishor Ji Ki Kije आरती जुगलकिशोर जी की कीजे
आरती जुगलकिशोर जी की कीजे , तन मन धन न्योशावर कीजे।
गौर श्याम मुख निरखन दीजे , प्रेम स्वरूप नयन भर पीजे।।
रवि शशि कोटि बदन की शोभा , ताहि निरखी मेरो मन लोभा।
मोर मुकुट कर मुरली सोहे , नटवर वेष निरख मन मोहे।।
ओढ़े पित नील पट सारी , कुंजबिहारी गिरिवर धारी।
रूप मनोहर मंगलकारी , आरती करत सकल ब्रज नारी।।
नंद नंदन बृषभानु किशोरी , परमानंद प्रभु अविचल जोरी।
आरती जुगलकीशोर की कीजे , तन मन धन न्योछावर कीजे।।
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