Charbhuja Dhari Prabhu Aarti Lyrics जय चारभुजा धारी प्रभु लिरिक्स

जय चारभुजा धारी प्रभु




जय चारभुजा धारी , प्रभु चारभुजा धारी ।

दुष्टन के दुःख दाई , भक्तन हितकारी ॥

कानन कुण्डल सोहे , शीश मुकुट धारी ।
गल वैजन्ती माला , मन मोहक भारी ।।

चक्र सुदर्शन धर्त्ता , भालो हाथ भारी ।
जग कर्त्ता युग भर्त्ता , कर कमलाधारी ॥

कमर कटारो सोहे , पीठ ढाल भारी ।
पाँवा पद्म विराजे , झांझर छवि न्यारी ॥

भादों शुक्ल एकादशी मेला , अति आनन्द मजा ।
रूपनाथ हैं भ्राता तां के , तांसे आवे रजा ॥

सज के सवारी वा बलिहारी , दूध तलाई छटा ।
सुर नर मुनि सुख पावे , नभ से देख छटा ॥

आप दया के सागर , सन्तन प्रतिपाला ।
दीनन के दुःख हर्त्ता , भक्तन रखवाला ॥

तन मन से जो ध्यावे , कष्ट मिटे सारा ।
प्रभु जी को रूप निरखतां , पाप कटे सारा ॥

श्री चारभुजा की आरती , गावत नर - नारी ।

विघ्न क्लेश सब टलता , महिमा अति भारी ।।