देवनारायण भगवान की आरती
श्री देवनारायण जी की आरती
जय श्री देव हरे , स्वामी जय श्री देव हरे ।
जनम जनम के पातक , क्षण में दूरे करे ।।
उत्पत्ति पालन संहार से , प्रभु क्रीड़ा करता ।
देव अर्थ का निशदिन , जो हृदये धरता ॥
सब प्रपंच का सुनलो , ईश्वर आधारा ।
नारायण शब्दार्थ लख , हरि उर धारा ।।
देव है ब्रह्मा विष्णु , और शंकर देवा ।
देव है गुरु पितृ माता , जान करो सेवा ॥
जब जब धर्म नशावे , पाप बढ़े भारी ।
तब तब प्रगटो स्वामी , भक्तन हितकारी ।।
धन विद्या तुम देते , तुम सब कुछ दाता ।
तुम बिन और नाँहि , कोई नहीं आता ।।
इष्ट देव सब जग के , हो अन्तर्यामी ।
प्राणी मात्र की रक्षा , करते तुम स्वामी ॥
देवनारायण की आरती , हित चित से जो गावे ।
भैरा राम मन वांछित , फल निश्चित पावे ॥
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